सच, खुदा कुछ चीज़ों को बना कर ,
वो खांचा ही तोड़ देता है ।
इंसान तो बस उसे अपना समझ ,
अपना नाता जोड़ लेता है ।
पर इंसान को उसकी अहमियत सामने नहीं दिखती ,
उसकी कमी तभी महसूस होती है ,
जब वो अपना मुंह उससे मोड़ लेता है ।
- अक्षत डबराल
"निःशब्द"
वो खांचा ही तोड़ देता है ।
इंसान तो बस उसे अपना समझ ,
अपना नाता जोड़ लेता है ।
पर इंसान को उसकी अहमियत सामने नहीं दिखती ,
उसकी कमी तभी महसूस होती है ,
जब वो अपना मुंह उससे मोड़ लेता है ।
- अक्षत डबराल
"निःशब्द"
liked the pithy message Mr.'Nishabd'
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