आज साथ साल हुए पूरे ,
आओ संकल्प लें, खतम होंगे काम अधूरे |
शान्ति बसेगी भारत वर्ष में ,
अलग होगी सूरत अगले बरस में |
पर सिर्फ शब्दों से दुनिया नहीं चलती,
बिना आग के तो मोम भी नहीं गलती |
कुछ न कुछ करो ,
यूँही बातों से कोई क्रान्ति नहीं चलती |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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