एक बंधु ने प्रायः कोई विज्ञापन देखकर मुझसे कहा, "मुस्कुराईये, आप लखनऊ में हैं |"
उसी निश्छल भाव को लेकर स्वयं, व अपने सभी (ब्रितानी भाषा में) "सिंगल" मित्रों के लिए एक प्रयास ...
मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |
दूरभाष , समय नाश , कटु भाष ,
इन सब से परे हैं |
आह ! जीवन से भरे हैं |
आपके समक्ष इत्र फुलेल के पचड़े ,
इस्त्री किये कपड़े ,
बिना बात के लफड़े ,
ये सब विफल हैं ,
मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |
आप मन के स्वामी हैं ,
बेलगाम अश्व की तरह |
कोई सेवा नहीं करते ,
बाकी आधे विश्व की तरह |
इश्वर की कृपा है , नौकरी , वेतन है |
सौ प्रतिशत व्यय करिये मन से ,
क्यों दीजिये फूल, आभूषण , भेंटें ?
आप तो सदैव ऊपर हैं इनसे |
आपको तिथियाँ स्मरण की बाधा नहीं है ,
आप न कृष्ण हैं , कोई राधा नहीं है |
आपका जीवन कितना सरल है ,
मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |
अक्षत डबराल
"निशब्द"
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