बुधवार, 29 फ़रवरी 2012
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012
सच, खुदा
सच, खुदा कुछ चीज़ों को बना कर ,
वो खांचा ही तोड़ देता है ।
इंसान तो बस उसे अपना समझ ,
अपना नाता जोड़ लेता है ।
पर इंसान को उसकी अहमियत सामने नहीं दिखती ,
उसकी कमी तभी महसूस होती है ,
जब वो अपना मुंह उससे मोड़ लेता है ।
- अक्षत डबराल
"निःशब्द"
वो खांचा ही तोड़ देता है ।
इंसान तो बस उसे अपना समझ ,
अपना नाता जोड़ लेता है ।
पर इंसान को उसकी अहमियत सामने नहीं दिखती ,
उसकी कमी तभी महसूस होती है ,
जब वो अपना मुंह उससे मोड़ लेता है ।
- अक्षत डबराल
"निःशब्द"
शनिवार, 4 फ़रवरी 2012
I know ...
And i know there's a place for me,
better and brighter than i can see.
And i know i will reach there someday,
for it's for me and only me.
Much has come and much has passed,
i've been moved, pushed and tossed.
but never i've laid down my arms,
never i've let the line be crossed.
All i can do is to work and try,
nothing's gained by a curse or cry.
I need to look beyond just running,
all i need is to learn to fly.
--Akshat Dabral
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