जब नैना हैं तो,
ख्वाब भी होंगे|
बसेंगे कुछ तो,
कुछ बर्बाद भी होंगे|
दिल में रहेंगे कुछ कैद तो,
कुछ आज़ाद भी होंगे|
राह में बिछड़ेंगे कुछ तो,
कुछ उम्रभर साथ भी होंगे|
इंसां की फितरत है ख्वाब सज़ाना,
ये आज हैं, मुद्दतों बाद भी होंगे|
जब नैना हैं तो,
ख्वाब भी होंगे!
-अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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