आज शाम ढल गयी ,
कल फिर सवेरा होगा |
सूनी खंडहर आँखों में ,
ख़्वाबों का बसेरा होगा |
हंसते रोते ,जगते सोते ,
बस जिसको तू मांग रहा |
आज नहीं , न सही ,
कभी वो मुकाम तेरा होगा |
दो दिन न रुकेंगे ,
उदासी के बादल |
जल्द ही तेरे घर ,
खुशियों का डेरा होगा |
ऐसा ही न रहेगा समां,
कभी तो वक़्त तेरा होगा |
आज शाम ढल गयी ,
कल फिर सवेरा होगा |
अक्षत डबराल
Nice Hope...
जवाब देंहटाएंhmmm
जवाब देंहटाएंhimmat baandh ke rakhiye
बहुत सुन्दर भाव !
जवाब देंहटाएंdhanyavaad maanyavar
जवाब देंहटाएं