गुरुवार, 22 अक्टूबर 2009

भोले से दो नैना , सुनैना |
जगते रहे , जलते रहे |
हुई दिन से रैना |

सोते सूखे पानियों के ,रेगिस्तां बन बैठे |
रेत ही रेत है , पानी कैसे बहना ?
भोले से दो नैना , सुनैना |

कबसे यूँ थे आस लगाए ,तुमसे मिलना , कहना |
तक तक पथराये नैना , हैं ना ?
भोले से दो नैना , सुनैना |

अक्षत डबराल

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