मंगलवार, 22 जून 2010

I am ...

The world is cool,
i am cold.
I am a loser,
have been told.

People speed ahead of me,
laugh, make jest of me.
It can't get any better,
being jerk is fact of the matter.

You remember "Merchant of Venice",
there was a fool Launcelot.
I dont know how he looked,
people say i resemble him a lot.

As i dont mingle much,
neither sing a jingle such,
that would raise an ear or two.
Let me just bore you,
that's best i can do.
that's best i can do.

Akshat Dabral
Nihshabd.

रविवार, 13 जून 2010

मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |

एक बंधु ने प्रायः कोई विज्ञापन देखकर मुझसे कहा, "मुस्कुराईये, आप लखनऊ में हैं |"
उसी निश्छल भाव को लेकर स्वयं, व अपने सभी (ब्रितानी भाषा में) "सिंगल" मित्रों के लिए एक प्रयास ...

मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |
दूरभाष , समय नाश , कटु भाष ,
इन सब से परे हैं |
आह ! जीवन से भरे हैं |

आपके समक्ष इत्र फुलेल के पचड़े ,
इस्त्री किये कपड़े ,
बिना बात के लफड़े ,
ये सब विफल हैं ,
मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |

आप मन के स्वामी हैं ,
बेलगाम अश्व की तरह |
कोई सेवा नहीं करते ,
बाकी आधे विश्व की तरह |

इश्वर की कृपा है , नौकरी , वेतन है |
सौ प्रतिशत व्यय करिये मन से ,
क्यों दीजिये फूल, आभूषण , भेंटें ?
आप तो सदैव ऊपर हैं इनसे |

आपको तिथियाँ स्मरण की बाधा नहीं है ,
आप न कृष्ण हैं , कोई राधा नहीं है |
आपका जीवन कितना सरल है ,
मुस्कुराइए, आप "सिंगल" हैं |

अक्षत डबराल
"निशब्द"

शुक्रवार, 11 जून 2010

कवि हृदय |

कवि हृदय मनुष्य का नहीं ,
एक अलग नसल का है |
कभी दुःख में भी सुखी रहता है ,
कभी सुख में भी व्याकुल रहता है |

ये शब्दों का एक गोदाम है ,
भावनाओं से तपता रहता है |
उमड़ घुमड़ कर शब्द आते ,
सब आप ही छपता रहता है |

यूँ किसी को फूल , फूल ही लगता ,
ये पूरी कविता कह जाता |
खींच लाता प्रसंग, भाव, अर्थ ,
गागर में सागर कह जाता |

इसकी दीवारें सुर्ख लाल ही नहीं ,
सातों रंगों से रंगी हैं |
आज काली , उदास हैं ,
कल ख़ुशी से खिली , बसंती हैं |

इसे हर चीज़ में कविता दिखती है ,
और लय का ध्यान रहता है |
कवि हृदय बुढता नहीं ,
हमेशा जवान रहता है ,
हमेशा जवान रहता है |

अक्षत डबराल
"निःशब्द