ठण्ड की गर्म धूप हो तुम ,
या नदी की मस्त लहर ?
मुंडेर की पगडण्डी हो या ,
मनमौजी टेढ़ी नहर |
चांदनी हो सकती हो तुम ,
पर इतनी उसकी लौ नहीं |
सपनों में मुझे बुलाता है जों ,
क्या तुम ही हो , कोई और नहीं ?
खुशबू का झोंका हो तुम ,
या बारिश का छींटा हो ?
अनकहा अरमान हो कोई ,
जों उम्मीद पे ही जीता हो ?
डर से छुपायी बात हो तुम ,
या गुनगुनाया गीत कोई ?
अनजाने से दिखते हो ,
या लगते अपने मीत कोई ?
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
Achchhi aur saarthak rachna.Thanks
जवाब देंहटाएंचांदनी हो सकती हो तुम ,
जवाब देंहटाएंपर इतनी उसकी लौ नहीं |
सपनों में मुझे बुलाता है जों ,
क्या तुम ही हो , कोई और नहीं ?
Achchhi aur saarthak rachna.Thanks