आगे रात चली , पीछे बात चली |
रात रात भर , बात बात में ,
साथ साथ में , कोई बात चली |
राज रानी की , आग पानी की |
कही अनकही , नयी पुरानी की |
ले अपने रंग सात चली ,
रात रात भर , बात बात में ,
साथ साथ में , बात चली |
कुछ अपनों की , कुछ सपनों की |
कुछ किस्सों की , कोई कहानी की |
ले यादों की बारात चली ,
रात रात भर , बात बात में ,
साथ साथ में , बात चली |
ओस की बूँदें , आँखें खुली - मूंद के |
उनमें कुछ खोकर , कुछ ढूंढ के |
दे कोई सौगात चली ,
रात रात भर , बात बात में ,
साथ साथ में , बात चली |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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