क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो वक़्त , वो लम्हा ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो जूनून , वो जज़्बा ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो नशा , वो फितूर ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो कशिश , वो सुरूर ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो शख्शियत, वो वज़ूद ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो शान , वो रसूक ?
- अक्षत डबराल
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो जूनून , वो जज़्बा ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो नशा , वो फितूर ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो कशिश , वो सुरूर ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो शख्शियत, वो वज़ूद ?
क्यूँ हम नहीं लौटा सकते , वो शान , वो रसूक ?
- अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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