गुरुवार, 6 अगस्त 2009

स्वीकार है , स्वीकार है |

ये जो मिली है तुझे आज ,
ये कोई हार है |
तेरे बल का माप है ,
फिर युद्घ कि ललकार है |

शूर है तू , वीर है तू ,
कर सिंहनाद ,
स्वीकार है , स्वीकार है |

एक बार गिरने से तू ,
हारा नहीं हो जाता |
हारा वो है जिससे गिरकर,
दुबारा उठा नहीं जाता |

मत हार हिम्मत ,
ये तो पहली बार है |
चींटी भी तब चढ़ पाती ,
जब गिरी सौ बार है |

पहचान इसे , ये युद्घ की ललकार है |
शूर है तू , वीर है तू ,
कर सिंहनाद ,
स्वीकार है , स्वीकार है |

अक्षत डबराल
निःशब्द

2 टिप्‍पणियां:

  1. 'मत हार हिम्मत ,
    ये तो पहली बार है |
    चींटी भी तब चढ़ पाती ,
    जब गिरी सौ बार है |'

    - यह हौसला जीवन में उन्नति का आधार है.

    जवाब देंहटाएं