शिवी भाई की अनुकम्पा से एक लैपटॉप व ब्रॉडबैंड की व्यवस्था हुई है ,
इसी सुर में प्रस्तुत है यह राधा श्याम का एक छोटा सा गीत ...
श्याम :
राधा राधा ,
तेरा श्याम तेरे बिन आधा ,
आधा सा दिन , आधा जीवन ,
आधा सोया , आधा जागा,
तेरा श्याम तेरे बिन आधा |
राधा :
दूर हूँ तुमसे , दूर है सूरज ,
दूर हैं रातें , दूर हैं शाम |
तुमसे ही तो मेरी हस्ती , तुमसे ही मेरा नाम ,
तुमसे ही, तुमसे ही , तुमसे ही मेरे श्याम |
श्याम :
प्रीत जों इतनी गर है मुझसे ,
पास नहीं , क्यूँ दूर है मुझसे ?
तकता हूँ इन राहों को ,
कभी जों तो तू निकले इनसे ?
राधा :
ऐसा नहीं, की मुझे प्रीत नहीं ,
पर मेरी चाहत , तुम समझे नहीं |
जों कह दूँ तो क्या बात रही ,
बिन कहे जों मैंने बात कही |
श्याम :
बस बातें बनाना बहुत हुआ राधा ,
इंतज़ार मत करवाओ ज्यादा |
देखो अब तो जग भी कहता ,
राधा , तेरा श्याम तेरे बिन आधा |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंdhanyavaad maanyavar
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