बाहर हँसता रहता हूँ ,
हर समय मस्त सा रहता हूँ |
सीने में क्या दर्द है ,
आपको क्या मालूम ?
यूँ तो ठीक दिखता हूँ ,
राजी ख़ुशी सब लिखता हूँ |
पर मुझे क्या मर्ज़ है ,
आपको क्या मालूम ?
कभी उफ़ का सांस न छोड़ा,
हर चीज़ को शुरू से जोड़ा |
मुझ पर क्या क़र्ज़ है ,
आपको क्या मालूम ?
उस की तरह बनना चाहता हूँ ,
भट्टी में तपना चाहता हूँ |
मेरा क्या आदर्श है ,
आपको क्या मालूम ?
एक लड़ाई छिड़ी है खुद से ,
लड़ता हूँ पूरे वजूद से |
मेरा क्या संघर्ष है ,
आपको क्या मालूम ?
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
अच्छी रचना डब्ररापल जी
जवाब देंहटाएंdhanyavaad maanyavar
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