ओ बेखबर , ओ बेखबर ,
दे अदा की एक नज़र |
तेरे लिए कितनी कशिश है ,
कभी तो ले ख़बर |
मन प्यासा प्यासा कबसे ,
रेगिस्ताँ सा तरस रहा |
और तू चाँद - बादल सा ,
न दिख रहा , न बरस रहा |
आ जा कभी इस ओर ,
न तारे बिछा दूँ तो कहना |
आ मिल जा मुझसे ,
न बहारें मोड़ दूँ तो कहना |
सच जहाँ मेरा ,
उस दिन सज जाएगा |
तू बेखबर , मेरी वफ़ा ,
जिस दिन समझ जाएगा |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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