शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

माफ़ करना ...

मेरी तरफ आती झूठी मुस्कानों को ,
जला देने का दिल करता है।
क्या मालूम कभी जला भी दूँ ?
होंठ जलें तो माफ़ करना।

मुझसे हर बात में साथ ,
की उम्मीद मत रखना |
क्या मालूम मैं कभी ना दूँ ?
चोट लगे तो माफ़ करना |

मैं हर वक़्त सच्चा ,
तुम्हारे लिए अच्छा नहीं हो सकता |
क्या मालूम कभी बदल जाऊं ?
धोखा लगे तो माफ़ करना |

मैं हमेशा तुम से खुश रहूँ ,
मीठा बोलूं , या चुप रहूँ |
क्या मालूम क्या उगल जाऊं ?
तेज़ लगे तो माफ़ करना |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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