मदिरा नहीं है,
होश में लाता , पाक पानी है |
सुरूर नहीं है ,
खुद से मिलने की , अनकही कहानी है |
नशे का क्या है ,
कल उतर जाएगा , बस बेहोशी रह जानी है |
शराब बुरी है ,
यह बात सुनी , बहुतों की जुबानी है |
पर मेरी ज़रा दोस्ती है इससे ,
जब ये पूरी निभाती है तो, मुझे भी निभानी है |
यूँ हो जाता हूँ जब तन्हा,
दुआ सलाम की बातें , इसको ही सुनानी हैं |
आज की शाम को ,
दीवाना करदे जों , आयी वो जवानी है |
खनका दो जाम दो चार ,
वरना ये जवानी , अधूरी रह जानी है |
पर नशे का दोष मदिरा को न देना,
इसमें नशा नहीं, ये तो पाक पानी है |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
शराब बुरी है ,
जवाब देंहटाएंयह बात सुनी , बहुतों की जुबानी है |
पर मेरी ज़रा दोस्ती है इससे ,
जब ये पूरी निभाती है तो, मुझे भी निभानी है |
aksar sunte hain ye baatein...
baaton ka kay hai... ye to aani-jaanee hain...
sundra rachna...
dhanyavaad aapka
जवाब देंहटाएंachchhi prastuti............
जवाब देंहटाएंमदिरा नहीं है,
जवाब देंहटाएंहोश में लाता , पाक पानी है |
सुरूर नहीं है ,
खुद से मिलने की , अनकही कहानी है |
नशे का क्या है ,
कल उतर जाएगा , बस बेहोशी रह जानी है
वाह क्या बात है...
मदिरा नहीं है,
होश में लाता , पाक पानी है |
सुरूर नहीं है ,
खुद से मिलने की , अनकही कहानी है |
नशे का क्या है ,
कल उतर जाएगा , बस बेहोशी रह जानी है |
dhanyvaad sab maanya jano ka
जवाब देंहटाएंभाई बहुत खूब मदिरा और शराब के बारे में अलग अलग अर्थ निकार कर बहुत खूब रचना लिखी हे भाई हो . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
जवाब देंहटाएंbhai sahab tum to lekhak ho gaye ho
जवाब देंहटाएंthe last post was touching..
जवाब देंहटाएं