शनिवार, 11 सितंबर 2010

मदिरा ...

मदिरा नहीं है,
होश में लाता , पाक पानी है |
सुरूर नहीं है ,
खुद से मिलने की , अनकही कहानी है |
नशे का क्या है ,
कल उतर जाएगा , बस बेहोशी रह जानी है |

शराब बुरी है ,
यह बात सुनी , बहुतों की जुबानी है |
पर मेरी ज़रा दोस्ती है इससे ,
जब ये पूरी निभाती है तो, मुझे भी निभानी है |
यूँ हो जाता हूँ जब तन्हा,
दुआ सलाम की बातें , इसको ही सुनानी हैं |

आज की शाम को ,
दीवाना करदे जों , आयी वो जवानी है |
खनका दो जाम दो चार ,
वरना ये जवानी , अधूरी रह जानी है |
पर नशे का दोष मदिरा को न देना,
इसमें नशा नहीं, ये तो पाक पानी है |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

8 टिप्‍पणियां:

  1. शराब बुरी है ,
    यह बात सुनी , बहुतों की जुबानी है |
    पर मेरी ज़रा दोस्ती है इससे ,
    जब ये पूरी निभाती है तो, मुझे भी निभानी है |

    aksar sunte hain ye baatein...
    baaton ka kay hai... ye to aani-jaanee hain...
    sundra rachna...

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  2. मदिरा नहीं है,
    होश में लाता , पाक पानी है |
    सुरूर नहीं है ,
    खुद से मिलने की , अनकही कहानी है |
    नशे का क्या है ,
    कल उतर जाएगा , बस बेहोशी रह जानी है

    वाह क्या बात है...


    मदिरा नहीं है,
    होश में लाता , पाक पानी है |
    सुरूर नहीं है ,
    खुद से मिलने की , अनकही कहानी है |
    नशे का क्या है ,
    कल उतर जाएगा , बस बेहोशी रह जानी है |

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  3. भाई बहुत खूब मदिरा और शराब के बारे में अलग अलग अर्थ निकार कर बहुत खूब रचना लिखी हे भाई हो . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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