मंगलवार, 10 मई 2011

तुम आओगे

क्या होगा दिन , तुम आओगे
क्या होगी रात , तुम आओगे
क्या होगी बात , तुम आओगे
क्या होंगे ज़ज्बात , तुम आओगे

क्या पजेब , क्या पाँव , तुम आओगे
क्या ज़ुल्फ़, क्या छाँव , तुम आओगे
क्या चांद का साथ , तुम आओगे
क्या बरसात कि रात , तुम आओगे

क्या सिंदूर कि लकीर , तुम आओगे
क्या नैनो के तीर , तुम आओगे
क्या लफ़्ज़ों कि खीर , तुम आओगे
क्या धड़कन कि ज़ंजीर , तुम आओगे

यूँही कहता रहूँगा , तुम आओगे
यूँही चाहता रहूँगा , तुम आओगे
कब तक देखूं , तुम आओगे
मैं तो यहीं हूँ क्या , तुम आओगे ?

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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