ये चंद सिक्के ही तो हैं, जिन्होंने मुझे ऐसा बना दिया |
मैं इतना बेदर्द तो कभी न था |
ये चंद स्वार्थ ही तो हैं , जिन्होंने मुझे ऐसा बना दिया |
मैं इतना खुदगर्ज़ तो कभी न था |
ये चंद लोग ही तो हैं , जिन्होंने मुझे ऐसा बना दिया |
मैं इतना पत्थर तो कभी न था |
ये चंद बातें ही तो हैं , जिन्होंने मुझे ऐसा बना दिया |
मैं इतना बदतर तो कभी न था |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
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