दया नहीं , अनुदान नहीं ,
बस शक्ति और जोश चाहिए |
इस देश को कुछ नहीं ,
बस चंद सरफ़रोश चाहिए |
मेहनत और इमानदारी का जों इत्र लगाते ,
सुबह कफ़न पहन कर जों निकल जाते |
ऐसे रणबाकुरों का एक कोष चाहिए ,
इस देश को कुछ नहीं ,
बस चंद सरफ़रोश चाहिए |
विपरीत स्तिथि में न डिगे जों ,
ऐसे कदम ठोस चाहिए |
हर एक ललकार को अब ,
सिंहनाद का उद्घोष चाहिए |
इस देश को कुछ नहीं ,
बस चंद सरफ़रोश चाहिए |
विरोध में उठती हुई ,
हर आवाज़ खामोश चाहिए |
इस देश को कुछ नहीं ,
बस चंद सरफ़रोश चाहिए |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
अक्षत डबराल
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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