शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

कुछ मदिरा का दोष था ,
हमें भी कम होश था |
आस पास देखा तो ज़रूर ,
पर न दिखा कोई जों दोस्त था |

एक साथ की आस थी ,
पर परछाई तक न पास थी |
किससे कहते अपने सपने , दर्द ,
मेरे साथ बस मेरी धड़कन , मेरी सांस थी |

पर किस्मत , नीयत , होनी ,
किस किस को कोसते रहें |
जों होना था , वो हो गया ,
हम आप बस बैठे सोचते रहें |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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