कुछ मदिरा का दोष था ,
हमें भी कम होश था |
आस पास देखा तो ज़रूर ,
पर न दिखा कोई जों दोस्त था |
एक साथ की आस थी ,
पर परछाई तक न पास थी |
किससे कहते अपने सपने , दर्द ,
मेरे साथ बस मेरी धड़कन , मेरी सांस थी |
पर किस्मत , नीयत , होनी ,
किस किस को कोसते रहें |
जों होना था , वो हो गया ,
हम आप बस बैठे सोचते रहें |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
गहन भावों का समावेश हर पंक्ति में ।
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