रविवार, 3 जुलाई 2011

क्या किसी कि काबिलियत ,
तुल सकती है उसके इत्र कि सुगंध से ?
क्या किसी का बड़प्पन ,
दिख सकता है उसके कपड़ों के ढंग से ?

क्या किसी के वंश का अनुमान ,
लग सकता है उसके रंग से ?
क्या किसी की सोच का संकेत ,
मिल सकता है उसके संग से ?

क्या किसी की ख़ुशी की गहराई ,
दिख सकती है उसकी उमंग से ?
और किसी की दर्द की सीमा ,
दिख सकती है माथे की शिकन से ?

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना....

    किसी के अंतस का अंदाज़ा उसकी बाह्य गतिविधियों से नहीं लग सकता...

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  2. क्या किसी की ख़ुशी की गहराई ,
    दिख सकती है उसकी उमंग से ?
    और किसी की दर्द की सीमा ,
    दिख सकती है माथे की शिकन से ?
    dikhti hai... aankhen band ker lete hain log yaa pher lete hain

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