रविवार, 10 अप्रैल 2011

आप ...

आज नैनों में लौ ज़रा कम है ,
आप कुछ उजाला कर देंगे ?
बहुत लम्बा सफ़र है मेरा ,
साथी बन हौसला भर देंगे ?

तन्हाई की सीली दीवारें हैं खड़ी ,
आप इस मकान को घोंसला कर देंगे ?
कबसे हंसी न सुनी है यहाँ ,
आप यहाँ ख़ुशी का हल्ला भर देंगे ?

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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