ठण्ड की हुई छुट्टी ,
सुबह शाम दिखती बची कुची |
ये मौसम सब को पसंद है ,
देखो , फिर आया बसंत है |
स्वेटर , मौजे बंद ट्रंक में ,
अगले साल निकलेंगे ठण्ड में |
अब कुछ दिन तो आनंद है ,
देखो, फिर आया बसंत है |
होली की भी धूम होगी ,
होना हल्ला गुल्ला , हुड़दंग है |
हर तरफ छाने रंग हैं ,
देखो, फिर आया बसंत है |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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