मन के ब्याहे हैं ,
दूर चले आये हैं |
मंत्र फेरों के बिना ,
एक दूजे के साए हैं |
मन के ब्याहे हैं ...
न मेहँदी कि रस्म ,
न अगूंठी , न कसम |
न बाराती आये हैं ,
मन के ब्याहे हैं |
चुपचाप आये हैं ,
प्यार ही मिला दहेज़ ,
अपने साथ लाये हैं ,
मन के ब्याहे हैं ...
सात ज़न्मों का न पता ,
इनकी भी न है खता |
अभी ज़िन्दगी कहाँ जी पाए हैं ,
मन के ब्याहे हैं |
आँखों में ख्वाब लिए ,
वफ़ा का सुरूर पिए ,
बेखुद हो छाये हैं |
मन के ब्याहे हैं ...
चाँद तारों से परे ,
मीठी उम्मीद से भरी ,
अपनी हर बात लाये हैं |
मन के ब्याहे हैं |
चलना ही है आगे ,
नापनी ही है इनको |
इनकी जों भी राहें हैं ,
मन के ब्याहे हैं ...
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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