वह पल , वह पल जो बीत गया |
गाने , भुलाने को , दे कितने गीत गया |
कभी दुश्मन मेरा , कभी बन मीत गया |
अभी तो खडा था यहाँ , और तुंरत ही रीत गया |
अपने आप में यह कितने रंग समेटे है |
कभी दिखता जीवंत , कभी शोक लपेटे है |
अपने जाने के साथ ही , कितनी यादें दे जाता है ?
कुछ खट्टी , कुछ मीठी बातें दे जाता है |
बहुत बुलाया वापस इसको , पर इस जिद में ,
यह मुझसे जीत गया |
वह पल , वह पल जो बीत गया |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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