अपनी चुप्पी के रहस्य को ,
आज दे खोल तू |
कुछ भी हो सही ,
पर आज मुझसे बोल तू |
मेरे धैर्य को , औरों की अधीरता से ,
आज ले तोल तू |
मेरी प्यास का , औरों की लिप्सा से ,
आज लगा ले मोल तू |
कबसे खड़ा हूँ तेरे लिए ,
देख आँखें खोल तू |
हद हो गई , इंतज़ार की ,
आज मुझसे बोल तू |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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