बालक था तू जब , तब तू निर्बल था ,
कुछ करने का इरादा किंतु तब भी प्रबल था |
आज तू व्यस्क है , कोई बहाना व्यर्थ है ,
कर तो सही कोशिश , याद रख , तू समर्थ है |
कार्य नही कोई जो पूरा न कर सके तू ,
राह नही कोई जो चल न सके तू |
हरेक चुनौती का बस यही अर्थ है ,
कर तो सही कोशिश , याद रख , तू समर्थ है |
तुझसे आस देख कितनो को है ,
सामने देख तू बस दौड़ जीतने को है |
इतनी आगे आकर वापस मुडना अनर्थ है ,
कर तो सही कोशिश , याद रख , तू समर्थ है |
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