मित्रों आज न लिखूंगा ,
आज मन कुछ उदास है |
लगती हर तरफ़ नीरसता फैली ,
बोझिल सा एहसास है |
सब यहाँ खुश हैं ,
जाने क्या पर्व ख़ास है |
मुझमे ही यह सूनी भावना ,
जागी अनायास है |
कलम का वजन मन भर है ,
मेरा शब्द कोष तितर बितर है |
न भाव , न अर्थ , न संधि ,
न बन रहा समास है |
मित्रों आज न लिखूंगा ,
आज मन कुछ उदास है |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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