जी ले - जी ले जी भर के , अभी साँसों में दम है |
थोड़ा पड़ता है हमेशा , जीवन कितना कम है !
पानी का यह बुलबुला , कुछ समय में फूट जाता है |
आँख झपकती है और , संसार से नाता टूट जाता है |
बस एक स्वप्न प्रतीत होता है |
जो अभी है , पल भर में अतीत होता है |
ज़रा से सफर में , कभी खुशी , कभी गम है |
हर पड़ाव की अपनी अलग सरगम है |
अंत होता यह , जब साथ लेने आया यम् है |
सत्य है, जितना भी मिला , जीवन कितना कम है !
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
ज़रा से सफर में , कभी खुशी , कभी गम है |
जवाब देंहटाएंहर पड़ाव की अपनी अलग सरगम है |
ज़िन्दगी की सरगम के सुरों में है दम
उसी सरगम से कभी खुशी कभी है गम