शनिवार, 11 अप्रैल 2009

तू क्या चाहता है ?

कभी ख़ुद से सवाल पूछा ,कि तू क्या चाहता है ?
पास जो तेरे वो कुछ नही , दूर जो , उसके पीछे भागता है |

कभी ये , कभी वो ,जाने क्या करना चाहता है ?
चोट लगती है कभी , तो बैठ कराहता है |

मन तो है ही चंचल ,वह उड़ना ही चाहता है |
लेकिन उसके पंख कतरने ,क्या तू नही जानता है ?

एक बार ढंग से सोच तो ले ,कि तू क्या चाहता है ?
फिर आने दे आगे तेरे ,जो भी आना चाहता है |

तीर चलाते सभी यहाँ , पर निशाना वही लगाता है |
जो मछली नही ,केवल उसकी आँख देखना चाहता है |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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