बहुत आगे नही आया तू , अभी वापस मुड सकता है |
क्यों चलता है पैदल , जब तू उड़ सकता है |
पीछे क्यूँ है खड़ा तू , जब तू लड़ सकता है |
कदम छोटे - छोटे क्यूँ रखता , जब तू दौड़ सकता है |
साहस कर , तूफानों को , तू मोड़ सकता है |
सर्वश्रेष्ठ है जो उनसे , लगा होड़ सकता है |
बल है तुझमे , रुकावटों को तोड़ सकता है |
अपनी टूटी तकदीर , फ़िर जोड़ सकता है |
पहचान ख़ुद को , तू हर पहाड़ चढ़ सकता है |
क्यों चलता है पैदल , जब तू उड़ सकता है |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा-लिखते रहें
जवाब देंहटाएंवोट अवश्य डालें और दो में से किसी एक तथाकथित ही सही राष्ट्रीय या यूं कहें बड़ी पार्टियों में से एक के उम्मीदवार को दें,जिससे कम से कम
सांसदो की दलाली तो रूके-छोटे घटको का ब्लैक मेल[शिबू-सारेण जैसे]से तो बचे अपना लोक-तंत्र ?
गज़ल कविता हेतु मेरे ब्लॉगस पर सादर आमंत्रित हैं।
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
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nice post
जवाब देंहटाएंरांचीहल्ला
narayan....narayan...narayan
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