बुधवार, 8 अप्रैल 2009

मुस्कुराया करो

जब भी मिलो , मुस्कुराया करो |
जैसे भी रहो , खिलखिलाया करो |

जो भी हो दर्द , सह जाया करो |
ज्यादा हो , तो किसी से कह जाया करो |

जीवन एक नदी है , इसमे बहते जाया करो |
ऊँच नीच होगी राह में , इनसे उबर जाया करो |

अपनापन जहाँ महसूस हो , स्वर्ग वहीं पाया करो |
बहुत सुंदर है यह संसार , खुश रहकर , और सुंदर बनाया करो |

इसलिए , जब भी मिलो , मुस्कुराया करो |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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