जब भी मिलो , मुस्कुराया करो |
जैसे भी रहो , खिलखिलाया करो |
जो भी हो दर्द , सह जाया करो |
ज्यादा हो , तो किसी से कह जाया करो |
जीवन एक नदी है , इसमे बहते जाया करो |
ऊँच नीच होगी राह में , इनसे उबर जाया करो |
अपनापन जहाँ महसूस हो , स्वर्ग वहीं पाया करो |
बहुत सुंदर है यह संसार , खुश रहकर , और सुंदर बनाया करो |
इसलिए , जब भी मिलो , मुस्कुराया करो |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
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