वो दिन , वो दिन भी क्या दिन थे !
पल - पल मस्ती भरे , चिंता के बिन थे |
समय कितना आराम से कटता था |
मन खुशी भरे गीत रटता था |
बहते रहते थे , जैसे कोई अल्हड़ नदी है |
अब लगता इन सबको हुए , बीत गई एक सदी है |
तब लगता था , बस सबसे ऊपर हम हैं |
अपने आगे सब गिनती में कम हैं |
तब हम ख्वाब लिखना , मिटाना जानते थे |
दोस्ती करना , निभाना जानते थे |
छोटी - छोटी बातों की खुशी मनाते थे |
थोड़े से पैसों से पूरा महीना चलाते थे |
याद आते हैं बहुत , पर अब हमसे छिन गए |
न आयेंगे , जितना बुलाओ , अब बीत वो दिन गए |
अक्षत डबराल
"निःशब्द"
Dear Dabralji,
जवाब देंहटाएंIf you don't mind please convert the word वे to वो in your poen, as वो is the most apppropreate word.
regards,