तस्वीर बनाई जो तूने अपनी ,
वह तुझमे सजी रही है |
जो बनना चाहता था तू जग मैं ,
आज क्या तू बना वही है ?
राह चल रहा जो इस पल में ,
क्या वह राह सही है ?
इच्छा जिसकी , जो मन में कई बार कही है ,
क्या तू बना वही है ?
संसार के चक्करों में पड़ ,
जो तो भूल गया |
बिना आदर , मेहनत , लगन के ,
मुरझा वह फूल गया |
अब तस्वीर पर तेरी ,
समय की परतें चढी है |
आकांक्षा तेरी , धूल में दबी कहीं है ,
जो हमेशा चाहा तूने ,
क्या तू बना वही है ?
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