सोमवार, 27 अप्रैल 2009

सपने बेकार नही

सपने बेकार नही , बहुत काम की चीज़ हैं |
बनने जा रहे जीवन वृक्ष के , ये मूल बीज हैं |

ये केवल लक्ष्य न देते , देते हैं राह भी |
जीवन को मकसद मिलता , और हाँ उत्साह भी |

लड़ने को , आगे बढ़ने को , इनसे प्राप्त एक युद्ध होता |
उस युद्ध का नायक , स्वप्न देखने वाला ख़ुद होता |

आदि काल से ये मानव का , मनोबल बढ़ते आ रहे |
गाँव से नगर , नगर से सभ्यता बनाते आ रहे |

जो सपने न देखे कोई , यह मनुष्य व्यवहार नही |
पूरे चाहे हो या न हों , सपने बेकार नही |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें